कोरोना वायरस के खौफ के बीच रात के अंधेरे में हाईवे पर इन दिनों गाड़ियों की भीड़ के बजाय सैैकड़ों पैदल लोगों को भीड़ दिख रही है। पूछने पर इनका कहना है कि जब उनके पास कोई कामकाज ही नहीं है तो दिल्ली में रुकने का कोई मतलब नहीं बनता। बॉर्डर पर पुलिस की चेकिंग से बचने के लिए ये लोग रेलवे पटरियों का भी सहारा ले रहे हैं। उनका कहना है कि किसी तरह वह अपने गांव पहुंच जाएं, जिसके बाद दोबारा नए जीवन की शुरुआत का प्रयास करेंगे।
एनएच-9 पर मंगलवार रात करीब 9 बजे सड़क के दोनों तरफ लोगों की भीड़ दिखी। ये लोग घरों तक पहुंचने के लिए किसी सवारी के इंतजार में थे। कभी कोई ट्रक उनके पास आकर रुकता तो सैैकड़ों की भीड़ एक साथ उस ओर भागती। जिसे उस ट्रक में जानवरों की तरह लदने का मौका मिल गया, वह खुद को खुशकिस्मत महसूस करता है। जिन्हें ट्रक में जगह नहीं मिली, उन्होंने पैदल ही हापुड़ की ओर कदम बढ़ा दिए। कई किलोमीटर तक हाइवे पर केवल लोगों की ही भीड़ देखने को मिल रही है। इन लोगों का कहना है कि रात के वक्त पुलिस का पहरा कम होता है, इसलिए वे पूरे परिवार के साथ घर के लिए निकले हैं। इनमें से ज्यादातर लोग पूर्वांचल से सटे जिलों के हैं। इनमें से काफी लोगों को यह भी नहीं पता कि उन्हें अभी कितने किलोमीटर लंबा चलना है। उनके साथ पूरे जीवन की भी पूंजी है, जिसे वे गठरी में बांधे हुए हैं।
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